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अप्सरा साधना के लाभ आध्यात्मिक एवं मानसिक स्तर पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। यह साधना साधक को अनेक आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक लाभ प्रदान करती है। निम्नलिखित हैं अप्सरा साधना के लाभ:

कामेच्छी अप्सरा साधना परिचय- अमराबती स्वर्गलोक के देबराज इन्द्र की राजधानी का ऐश्वर्य बहाँ की १६,१०८ अप्सराओं की कृपा का प्रसाद कहा जाता है । इन १६,१०८ में से १०८ अप्सराएं तो इन्द्र भगबान ने बेदों की १०८ ऋचाओं की साधना करके स्वयं प्रकट की थीं । इन १०८ की नायिका मेंनका और रम्भा आदि हैं । नर नारायण की तपस्या से डरकर इन्द्रदेब ने रम्भा, मेंनका आदि १६ प्रमुख अप्सराएं भेजीं । तब नर ने क्षुब्ध होकर अपनी दायीं जंघा पर हथेली मारकर उर्बशी आदि १६००० अप्सराएं उत्पन्न करके इन्द्र के पास भेज दीं ।

आत्म-ज्ञान एवं आत्म-सम्मोहन: अप्सरा साधना के माध्यम से साधक अपनी आत्मा को अधिक समझता है और आत्म-सम्मोहन का अनुभव करता है। यह साधना उसे आत्म-प्रेम और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में ले जाती है।

साधना के प्रति पूर्ण विश्वास रखना जरूरी है, और साधना के प्रति समर्पण दिखाना भी।

आकर्षण शक्ति: अप्सराएं अत्यधिक सुंदर होती हैं और उनकी आकर्षण शक्ति अत्यंत प्रभावशाली होती है। वे अपने सौंदर्य और चर्म से लोगों को मोहित कर सकती हैं।

Some practitioners may perhaps misuse Apsara Sadhana for selfish or manipulative applications. These kinds of intentions can create adverse karma and unintended consequences.

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रूप और शक्तियां: अप्सराएं अत्यंत सुंदर और मनोहारी होती हैं और उनकी आकर्षण शक्ति अत्यधिक होती है। उन्हें स्वर्गीय नायिकाओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। परी भी बहुत सुंदर होती हैं, लेकिन उनका रूप पर्याप्त नहीं होता है और उनकी शक्तियां अप्सराओं के मुकाबले कम होती हैं।

ॐ ह्रीं ऐम अप्सरा प्रत्यक्ष आगछ आगछ ह्रीं ऐम नमः

कहा जाता है कि जब तक अप्सराएँ वचन नहीं देती, तब तक उनकी बातों पर विश्वास न करें।

आनंद और भोग: अप्सरा साधना साधक को आनंद और भोग का अनुभव कराती है। यह साधना उसे जीवन की सुख सम्पत्ति के साथ-साथ आत्मा की ऊर्जा और आनंद की अद्वितीयता का अनुभव कराती है।

इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे website तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।

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